poetry

रहे न रहे

ये चमकता आसमान क्या पता कल रहे या न रहेये जगमगाती रात क्या पता रहे या न रहेवो दो अजनबी क्या पता कल मिले न पेड़ की छाव मेंया फिर झिलमिलाती नदी सो जाये जमीं मेंतो रुक जाओ थोड़ी देर इस लम्हे में हीसमेट लो आसमान को अपनी आँखों मेंबुला लो रात को अपनी नींद मेंखड़े रहने दो पेड़ को वहीजाग लो तुम भी उस नदी के साथ में| क्या आपको भी कभी कभी अपने…

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