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तलाश

ना जाने किस चीज की तलाश है मुझे चिड़ियों को तैरते देखने का या फिर मछलियों की सवारी करने का नदी को एक घूंट में पिने का या फिर समुन्दर को बोतल में भरने का अब तो सूरज भी जलाता है मुझे ये एहसास दिलाता है की वो भी है यहां फिर भी ना जाने किस चीज की तलाश हैं मुझे झरने को ऊपर उठाते देखने का या फिर मोरों को गाते सुनने का भवरों…

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हा मैं खूबसूतर हु

लौट कर आई हु अभी उस महफ़िल से जोरो – शोर पे था मेरे बाल के गजरे का महक माथे की बिंदी उस सूरज से काम न थी मैंने खूब सजाया था इन आँखों को काजल से , होठों को भो रंगा था लाल गुलाब की तरह वो मोती से भरी मेरी साड़ी भी सितारे की तरह चमक रही थी अब वापस आकर उतार दिए है वो सितारे, हटा दिया हैं होठों से गुलाब पोछ…

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पत्ते (The love story of leaves)

बितते – बितते बीत गया वो समय भी जब दीवानो की तरह पत्ते झल्ला कर भी सूरज को देखते थे छाव तो कही नसीब की गलियों में गुम थी तो गिर जाते थे टूट कर ही हवा भी छेड़ती थी उनको हर बार जब भी अति थी कुछ तो बह जाते थे उसमे ही आंखे बंद करते भी कब सूरज की आशिकी और चाँद की दीवानगी इतनी खूबसूरत जो थी अब जब बादल बरसे है…

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जिंदगी ( LIFE )

गम और ख़ुशी, इस जिंदगी ने सबके प्लेट में बराबर ही परोसे है हार, जित की माला लिए बैठी हु इस खाने की मेज पे तो पिने को बस आंसू ही मिले है किससे शिकायत करू मैं, इस जिंदगी की कड़वाहट की यहाँ मेरी ही तरह सबकी प्लेट कड़वे करेले से भरे है कितने भी कड़वे क्यों न हो खाना सबको ही है कभी कभी कुछ रस्गुल्ले भी दे देती है प्याले में तो बचा…

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जिंदगी

ये जिंदगी और कुछ नहीं , मेरा ही किस्सा है दोहरा कर जिऊँ या फिर एक बार सब एक ही जैसा है दिल निकल आया है हांथो में और आग लिपट जाती है आँखो से जब भी जीने का जूनून छाता है सपने लिए उड़ती हूँ मैं कही गिर न जाऊ इसका भी ख्याल आता है कभी बड़ी लगती है ये जिंदगी, तो कभी लगती है छोटी इतनी ख्वाहिशें है , कोई पीछे न छूट…

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