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समय

मैं ठहरी हुई, ये समय भागता हुआ कैसे इसे पकडू मैं आंखे धुंधली हैं, पैरों में कांटे चुभे हैं ये दर्द कैसे सहुँ मैं दुनिया बोलती है जी लो तुम इस समय में लेकिन कल की फ़िक्र कैसे छोड़ू मैं वो धुंधली सी बाते जाने अनजाने जेहन में घूमती रहती हैं रोज तो रातो को कैसे सोउ मैं कोई नसीहत दे जाता हैं इस समय के इस्तेमाल का लेकिन ये बताता नहीं की इसपे अपनी…

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अब मन नहीं है ( I don’t feel like it anymore )

रहने दू अब ये काम काजअब कुछ करने का मन नहीं हैसो जाऊ पलंग के निचेऊपर धुप बड़ी हैऔर अब जलने का मन नहीं है मन करता है आंखे खोल कर झपकी लेने काअब सपने देखने का मन नहीं हैदेखु भी क्या इनमेये सपने कभी मेरे हुए नहीं है दुनिया खूबसूरत है, बहोत रंगीन हैलेकिन फिर भी इसको अब देखने का मन नहीं हैचाहु भी क्या इससेआखिर ये भी तो उतनी ही मतलबी है रूठ…

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The Days

As days and nights go by,My curiosity seems to die.I’m lost and unsure of what’s left,All I hear is the sound of regret’s heft. Every day, I cover the same distance,But all I see are strangers, their existence.I hope to find what I’m missing,But all I get is darkness, nothing’s kissing. I want to give up,But I can’t say to myself.Neither sun nor moon can I see,Hopeless dreams are my reality. I wish and pray…

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Why I started writing poetry

Firstly, I would like to introduce myself. Hi, I am Sarvidha Chakrwarti, a 24-year-old girl from India. I am a writer and artist. I started writing in 2020 when the pandemic came, At that time, I was in my final year of college and studying paramedical, but before coming to college, a tragic incident happened in my life. My father died in an accident, and I was not able to accept the fact that he…

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