हा मैं खूबसूतर हु
लौट कर आई हु अभी उस महफ़िल से जोरो – शोर पे था मेरे बाल के गजरे का महक माथे की बिंदी उस सूरज से काम न थी मैंने खूब सजाया था इन आँखों को काजल से , होठों को भो रंगा था लाल गुलाब की तरह वो मोती से भरी मेरी साड़ी भी सितारे की तरह चमक रही थी अब वापस आकर उतार दिए है वो सितारे, हटा दिया हैं होठों से गुलाब पोछ…