poetry

अब मन नहीं है ( I don’t feel like it anymore )

रहने दू अब ये काम काजअब कुछ करने का मन नहीं हैसो जाऊ पलंग के निचेऊपर धुप बड़ी हैऔर अब जलने का मन नहीं है मन करता है आंखे खोल कर झपकी लेने काअब सपने देखने का मन नहीं हैदेखु भी क्या इनमेये सपने कभी मेरे हुए नहीं है दुनिया खूबसूरत है, बहोत रंगीन हैलेकिन फिर भी इसको अब देखने का मन नहीं हैचाहु भी क्या इससेआखिर ये भी तो उतनी ही मतलबी है रूठ…

Continue reading