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शाम

दो वक़्त शाम के साथ कुछ बाते उसकी निगाहों में रह गई और हम उन बातो में खो गए कुछ वक़्त गुजारा जब इस शाम के साथ तो ख्याल भी पानी की तरह बह गए जब हाथ मिलाया उससे तो उसके सुन्दर स्पर्श से हम भी मुलायम मखमली हो लिए उस समय में वो चाय इतनी मीठी क्यों थी यही सोचते – सोचते उसी वक़्त में रह गए उस शाम की अंगड़ाई में ऐसा दिल…

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HOPE

Clouds over the mountains, to see clear I went further towardsthe sky looks like an ocean with wingsI don’t know when it will rainbut one thing I am sure about is that it will clear my thoughtssource of my pain and sorrow will be going to wash awaythe purest form of me will germinate like a tiny seedno, I don’t want to get over with thisFor I want to cherish this moment, pure bliss.

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मंजिल

कौन है अधूरा, मैं या ये रास्ता किसकी हैं ये मंजिल, मेरी या फिर इस रस्ते का ढलती किरणे तो मेरी भी है और उसकी भी तो ये होड़ लगाई किसने इन्हे बाटने की मैंने या फिर इस रास्ते ने मंजिल की प्यास मुझे भी है और उसे भी ये जूनून मेरे अंदर है तो उसके अंदर भी फिर ये कहानी लिखी किसने अकेले चलने की मैंने या फिर इस रास्ते ने |

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