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हम भी वैसे ही मिलते है

जैसे रात में सितारे मिलते है जैसे दिन में बादल उड़ते है जैसे परिंदे के जोड़े घर के लिए पेड़ ढूंढते है हम भी वैसे ही मिलते है जैसे नदियाँ सैर पर निकलती है जैसे किरणे पहेली खेलती है जैसे बर्फ पहाड़ो से मिलती है हम भी वैसे ही मिलते है जैसे लहरें आकर पैरों को छूती है जैसे हवा दुप्पटे से लिपटती है जैसे दो सड़के एक रस्ते पे मिलती है हम भी वैसे…

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लेते आना

जब भी आना कुछ बाते, कुछ वादे लेते आनाकुछ अपने शहर की गर्मी, कुछ शर्दी लेते आनायहां अभी भी घूमते है कुछ पराये लोगमैं तुम्हारी और तुम इनके बन जाना जब भी आना कुछ अपने शहर की मिट्टी, कुछ अपने खेत की हरियाली लेते आनाकुछ अपने घर की गूंजती हसी और वो तुलसी भी लेते आनाये आंगन अभी भी सुना हैइठलाऊँगी मैं इसमें और तुम भी सुकून से सो जाना जब भी आना कुछ उस…

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अतीत (Past)

जीती हु उस परछाई में कभी पेड़ों के तो कभी दरवाजो के पीछे आंखे खोलना भूल जाती हु रूठती हु खुदसे, डूबती हु खुदमे बहार निकलना भूल जाती हु आते है लमहे हाथों में आज भी बस मुट्ठी बंद करना भूल जाती हु दौड़ती हु जब भी उनके पीछे तो रुकना भूल जाती हु बदलती हु चेहरे हजार, फिर भी आईना देखना भूल जाती हूँ इंतजार करती हु किसी का कभी इस जगह तो कभी…

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पुराने मकान

आज फिर उस गली से गुजारी हूँ मैं, वो पुराने मकान आज भी वही खड़े हैं वही पुरानी खिड़किया झांकती हुई वही खामोश हवाएं अंदर से बहार आती, जाती हुई बहोत दिन हो गए है एक दूसरे से कुछ कहे, कुछ सुने अब जब हम एक दूसरे के सामने खड़े है तो हम दोनों ही चुप है उनके मन में भी सवाल बहोत हैं मुझे भी कहना बहोत कुछ हैं फिर भी ना उन्होने कुछ…

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याद है मुझे

याद है मुझे वो मिटटी के घर और उनपे सजे छज्जे याद है मुझे वो छोटा सा आंगन और उसमे बिखरे तुलसी के पत्ते वो छोटी सी फुलवारी, वो मम्मी की साड़ी हा मुझे याद है वो हमारी पाठ पे छोटे छोटे से बास्ते कुछ बर्तनो के शोर, कुछ लोगो के सटे हुए चेहरे वो छोटी – छोटी खेतो की क्यारी, वो पापा की साइकिल की सवारी हा सब याद है मुझे याद है मुझे…

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