लेते आना
जब भी आना कुछ बाते, कुछ वादे लेते आनाकुछ अपने शहर की गर्मी, कुछ शर्दी लेते आनायहां अभी भी घूमते है कुछ पराये लोगमैं तुम्हारी और तुम इनके बन जाना जब भी आना कुछ अपने शहर की मिट्टी, कुछ अपने खेत की हरियाली लेते आनाकुछ अपने घर की गूंजती हसी और वो तुलसी भी लेते आनाये आंगन अभी भी सुना हैइठलाऊँगी मैं इसमें और तुम भी सुकून से सो जाना जब भी आना कुछ उस…