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याद है मुझे

याद है मुझे वो मिटटी के घर और उनपे सजे छज्जे याद है मुझे वो छोटा सा आंगन और उसमे बिखरे तुलसी के पत्ते वो छोटी सी फुलवारी, वो मम्मी की साड़ी हा मुझे याद है वो हमारी पाठ पे छोटे छोटे से बास्ते कुछ बर्तनो के शोर, कुछ लोगो के सटे हुए चेहरे वो छोटी – छोटी खेतो की क्यारी, वो पापा की साइकिल की सवारी हा सब याद है मुझे याद है मुझे…

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मैं

अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती हु मैं झूटी ही सही सबकी बाते सुनना चाहती हु मैं आंखे खोल के ही सही सपने देखना चाहती मैं अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती हु मैं —— बिना पारो के ही आसमान में उड़ना चाहती हु मैं रात के अँधेरे में सपनो की दुनिया देखना चाहती हु मैं ख्वाहिशो को लेकर इस भीड़ में चलना चाहती हु मैं अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती…

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