मैं और तुम
मैं और तुम बिच में सरहद की दिवार खड़ी है मैं यहां और तुम वहां पे हर बात पे जीकर है तुम्हारा और मेरी हर याद है तुम्हारे साथ जब भी हवा चलती है बादलों को लेकर वहां से असमन में लहरे उमड़ने लगती है यहां पे जब भी बारिश जाती है यहां से फूल ही फूल खिल जाते है वहां पे मेरी भी चिठियों में बाते लिखी होती है वही, जो तुम्हारे लिए भी…