उस हरी भरी गोद में सुनहरी सी मुस्कान ले सूरज सोने चला है
उसकी नजरे भी आज किसी से मिली है, दिल भी थोड़ा सा पिघला है
बहोत चला है उस सुकून को खोज में
अब थक कर उसकी बहो में सिमट रहा है
उम्मीद उसे है जब भी वो आंखे खोले तो, ये चेहरा युहीं दिखे
नहीं तो अब तक सबके चेहरे उसने बस जलते हुए ही देखा है
उसके केशों की महक उसकी बाहों की कोमलता, अब तक किसी ने इतना प्यार जताया न था
इस लिए आज पहली बार वो डूबता हुआ सूरज मुस्कुरा रहा है |