दो वक़्त शाम के साथ
कुछ बाते उसकी निगाहों में रह गई और हम उन बातो में खो गए
कुछ वक़्त गुजारा जब इस शाम के साथ तो ख्याल भी पानी की तरह बह गए
जब हाथ मिलाया उससे तो उसके सुन्दर स्पर्श से हम भी मुलायम मखमली हो लिए
उस समय में वो चाय इतनी मीठी क्यों थी यही सोचते – सोचते उसी वक़्त में रह गए
उस शाम की अंगड़ाई में ऐसा दिल लगा लिया की
वापस आते वक़्त अपने दिल को वापस लाना ही भूल गए |