poetry

मामूली मैं

मामूली मैं तेरे प्यार में खुद को आसमान समझती हु

छोटा सा घरोंदा मेरा उसको भी आलीशान समझती हु

जो तू पहनती है पायल उसको मैं अपने सर का ताज़ समझती हु

जो तू दिए जलाये मैं उनको अपनी खुशिओ का रोशनदान समझती हु

समझती हुँ सारी तेरी बातें

कहती हु मैं भी सबकुछ

लेकिन बस दूर से

क्युकी तुमको सपना और खुद को हकीकत समझती हु

मामूली मैं तेरे प्यार में खुद को आसमान समझती हु |

Sometimes, our dreams are so beautiful and vast that we’re reluctant to wake up and face reality. Our dreams possess the power to make our lives more beautiful and peaceful.

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