poetry

रहे न रहे

ये चमकता आसमान क्या पता कल रहे या न रहे
ये जगमगाती रात क्या पता रहे या न रहे
वो दो अजनबी क्या पता कल मिले न पेड़ की छाव में
या फिर झिलमिलाती नदी सो जाये जमीं में
तो रुक जाओ थोड़ी देर इस लम्हे में ही
समेट लो आसमान को अपनी आँखों में
बुला लो रात को अपनी नींद में
खड़े रहने दो पेड़ को वही
जाग लो तुम भी उस नदी के साथ में|

क्या आपको भी कभी कभी अपने बचपन के दिन याद आते है? और अगर आप भी मेरी तरह एक छोटे से गांव से हो, तो क्या आपको भी अपने गांव के पेड़ वहाँ के खेत सब याद आते है?
मुझे तो बहोत आते है वो दिन भर खेलना, पेड़ से आम अमरुद तोडना, और सबसे ज्यादा मुझे याद अत है वो freedom, आपका बचपन कही भी बिता हो हम सब अपने बचपन को हमेसा याद करते है क्युकी उस time हम आजाद थे, हमे future के बारे में कोई फ़िक्र नहीं होती थी, हम बस सब चीजों को enjoy करते थे उस समय में जीते थे,
लेकिन अब हम अकसर अपने आप को दुसरो से compare करते रहते है, future के बारे में सोचते रहते है, और कही तक ये सही भी है future के बारे में सोचना, लेकिन मुझे लगता है उतना ही जरूरी life को enjoy करना भी है
जैसा की मैंने लिखा है ये सब कल रहे ना रहे, या ये समय ही बीत जाये, तो आशा है आपको अपने जिंदगी को enjoy करने पता होगा, so just enjoy this moment|🥰❤️

Thank you for reading until the end.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *