poetry

Inner child

मैं भी बाहें फैला रही हूँ , तुम भी फैलाओ अपनीपकड़ो हाथ मेरा, चलो उड़ चलें कहीचलो उस पतंगे की सवारी कर के बादलों के पास जायेसूरज के लाल घूंघट से हम खेलकर आयेकब तक तुम यूही बिस्तर के निचे छिपे रहोगेकब तक इस अँधेरे में घिरे रहोगेबहार आसमान बहोत साफ़ हैचलो कुछ तारे तोड़ कर लाये हम भी मैं भी बाहें फैला रही हूँ , तुम भी फैलाओ अपनीपकड़ो हाथ मेरा, चलो चलें कहीचलो…

Continue reading