poetry

Inner child

मैं भी बाहें फैला रही हूँ , तुम भी फैलाओ अपनी
पकड़ो हाथ मेरा, चलो उड़ चलें कही
चलो उस पतंगे की सवारी कर के बादलों के पास जाये
सूरज के लाल घूंघट से हम खेलकर आये
कब तक तुम यूही बिस्तर के निचे छिपे रहोगे
कब तक इस अँधेरे में घिरे रहोगे
बहार आसमान बहोत साफ़ है
चलो कुछ तारे तोड़ कर लाये हम भी

मैं भी बाहें फैला रही हूँ , तुम भी फैलाओ अपनी
पकड़ो हाथ मेरा, चलो चलें कही
चलो उस हरी नरम घास पर लेटे रहे
घोड़े की सवारी कर कही दूर निकल जाये
कब तक तुम यूँही अलमारी में बैठे रहोगे
कब तक खुद में ही सिमटे रहोगे
बाहर शाम बहोत सुहानी है
चलो कुछ रोशनी घर में भी सजाये अपनी

मैं भी बहे फैला रही हूँ, तुम भी फैलाओ अपनी
पकड़ो हाथ मेरा, चलो चलें ढूंढने खुसी
चलो अब पकड़ो हाथ मेरा वो खजाने ढूंढ कर लाये
वो जो पीछे रह गई उस मुस्कान को साथ लेकर आये
कब तक तुम यूही उदास रहोगे
कब तक यूही बैठे रहोगे
बाहर देखो बारिश होने को है
चलो कुछ रेनबो डिब्बे में भर कर लाये हम भी

मैं भी बहे फैला रही हु, तुम भी फैलो अपनी
पकड़ो हाथ मेरा, चलो उड़ चले कही————–

Let your inner child fly
let your inner child run wild
That’s how you’ll be a great artist.

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