अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती हु मैं
झूटी ही सही सबकी बाते सुनना चाहती हु मैं
आंखे खोल के ही सही सपने देखना चाहती मैं
अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती हु मैं ——
बिना पारो के ही आसमान में उड़ना चाहती हु मैं
रात के अँधेरे में सपनो की दुनिया देखना चाहती हु मैं
ख्वाहिशो को लेकर इस भीड़ में चलना चाहती हु मैं
अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती हु मैं —–
साहिलों को देखने लिए समानदर भी पर करना चाहती हु मैं
इन ख्वाबो में गोते लगाना चाहती हु मैं
दुसरो की जिंदगियों को भी अब समझना चाहती हु मैं
अब नई जिंदगी की शुरुआत करना चाहती हु मैं —