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कौन है अधूरा, मैं या ये रास्ता
किसकी हैं ये मंजिल, मेरी या फिर इस रस्ते का
ढलती किरणे तो मेरी भी है और उसकी भी
तो ये होड़ लगाई किसने इन्हे बाटने की
मैंने या फिर इस रास्ते ने
मंजिल की प्यास मुझे भी है और उसे भी
ये जूनून मेरे अंदर है तो उसके अंदर भी
फिर ये कहानी लिखी किसने अकेले चलने की
मैंने या फिर इस रास्ते ने |