याद है मुझे वो मिटटी के घर और उनपे सजे छज्जे
याद है मुझे वो छोटा सा आंगन और उसमे बिखरे तुलसी के पत्ते
वो छोटी सी फुलवारी, वो मम्मी की साड़ी
हा मुझे याद है वो हमारी पाठ पे छोटे छोटे से बास्ते
कुछ बर्तनो के शोर, कुछ लोगो के सटे हुए चेहरे
वो छोटी – छोटी खेतो की क्यारी, वो पापा की साइकिल की सवारी
हा सब याद है मुझे
याद है मुझे सर्दी की रातो में जलते अलाव और उनमे भूनते हुए भुट्टे
वो लुक्का छुपी का खेल, कुछ हस्ते तो कुछ गुस्से में घूमते चेहरे
याद है मुझे वो खागज की नावे और उनमे लगी दौड़े
कुछ मछली पकड़ते तो कुछ तालाब में तैरते हुए बच्चे
हा सब याद है मुझे उस समय का एक – एक पल
सब याद है मुझे ——–