हंस रही हो लेकिन ये बहे हुए काजल के दाग अभी भी है
उस रात की बात, कहने दो इन्हे
बाल तुम संवार रही हो लेकिन वो टूटे हुए बाल अभी भी बिखरे है तुम्हारे कंधे पर
ये टूटे कैसे, कहने दो इन्हे
कल तक तो हाथो में चूड़ियां भरी हुई थी आज कलाई सुनी है तुम्हारी
वो कहां टूट कर बिखरी, कहने दो इन्हे
मेहँदी भरी थी हाथों पर कल तक आज एक भी निशान उसके दीख नहीं रहे है
कहां पिघल कर गिरी, कहने दो इन्हे
ये होंठ कल रंगो से सजे थे लेकिन आज इतने फीके से दिख रहे है
इन्हे रोको ना
सारे संग उड़े कहां, कहने दो इन्हे——–