poetry

दिल को धड़कने दो

भर लो मुझे अपनी बाहों में
दिल धड़क रहा है तो धड़कने दो

साँसे जहा रुकी है उन्हें वही रुके रहने दो
कहां चलती है किसीकि उन ताकतवर हाथो के सामने
आँखे बंद है तो इन्हे बंद ही रहने दो
आँगन के पेड़ भी सुख चुके है
झूले भी टूट चुके है
जख्मी दिवार है तो इन्हे ऐसे ही रहने दो
भर लो मुझे अपनी बाहों में
दिल धड़क रहा है तो धड़कने दो

दरवाजे पे लिखा शुभ-लाभ भी खामोश है
उसे ख़ामोशी में ही रहने दो
कहां सोती है ये चार आंखे
इस चैन और सुकून को दम तोड़ने दो
वो आँचल भी फट चुका है
दिया भी बुझ चुका है
चुडिओं की आवाज भी दब चुकी है उस भारी आवाज में
तो इन्हे ऐसे ही दबे रहने दो
भर लो मुझे अपनी बाँहों में
दिल धड़क रहा है तो धकने दो|

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