poetry

हम भी वैसे ही मिलते है

जैसे रात में सितारे मिलते है

जैसे दिन में बादल उड़ते है

जैसे परिंदे के जोड़े घर के लिए पेड़ ढूंढते है

हम भी वैसे ही मिलते है

जैसे नदियाँ सैर पर निकलती है

जैसे किरणे पहेली खेलती है

जैसे बर्फ पहाड़ो से मिलती है

हम भी वैसे ही मिलते है

जैसे लहरें आकर पैरों को छूती है

जैसे हवा दुप्पटे से लिपटती है

जैसे दो सड़के एक रस्ते पे मिलती है

हम भी वैसे ही मिलते है|

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