poetry

तलाश

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ना जाने किस चीज की तलाश है मुझे

चिड़ियों को तैरते देखने का या फिर

मछलियों की सवारी करने का

नदी को एक घूंट में पिने का या फिर

समुन्दर को बोतल में भरने का

अब तो सूरज भी जलाता है मुझे

ये एहसास दिलाता है की वो भी है यहां

फिर भी ना जाने किस चीज की तलाश हैं मुझे

झरने को ऊपर उठाते देखने का या फिर

मोरों को गाते सुनने का

भवरों को शरमाते देखने का या फिर

फूलों को नाचते देखने का

अब तो पेड़ भी झकझोरते है अपनी डालियो की तरह मुझे

ये एहसास दिलाते है की वो भी है यहां

फिर भी ना जाने किस चीज की तलाश है मुझे

बादलों को जमीन पर उतारते देखने का या फिर

रेनबो को हाथो में पकड़ने का

खुद को उड़ते देखने का या फिर

इस दुनिया को बदलते देखने का

अब तो बारिश की बुँदे भी चोट देती है मुझे

ये एहसास दिलाने के लिए की वो भी है यहां

फिर भी ना जाने किस चीज की तलाश है मुझे|

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